मुकद्दर की किस अदालत में करें सिफारिश तुम्हारे लिए जब गुनाह भी तुम, सजा भी तुम...! मुकद्दर की किस अदालत में करें सिफारिश तुम्हारे लिए जब गुनाह भी तुम, सजा भी तु...
मोहब्बत भी तुम हो इंकार भी तुम हो बेइंतहा प्यार का इज़हार भी तुम हो। मोहब्बत भी तुम हो इंकार भी तुम हो बेइंतहा प्यार का इज़हार भी तुम हो।
तुम्हें अगर पता ही होता तो मुझे यूँ अकेला करके तुम जाते ही क्यूँ....? तुम्हें अगर पता ही होता तो मुझे यूँ अकेला करके तुम जाते ही क्यूँ....?
नायाब तुम भी हो तो बेहतरीन हम भी हैं। नायाब तुम भी हो तो बेहतरीन हम भी हैं।
अपनों की भीड़ में भी अक्सर अपनों की भीड़ में भी अक्सर
मेरे मयख़ाने में हर मर्ज़ का इलाज़ शामिल है मेरे मयख़ाने में हर मर्ज़ का इलाज़ शामिल है